अंततः ब्राजील ने आरोप लगा ट्रम्प के दावों पर मुहर लगा ही दी कि यह महामारी प्राकृतिक नहीं, बायोलॉजिकल वार फेयर है और यह उसी देश ने छेड़ा है जिसकी इकोनोमी सबसे फायदे में है।
पहली वेव में ही जापान के नोबेल प्राइज विजेता वायरोलॉजिस्ट ने भी कहा था यह मानव निर्मित वायरस है।
2019 तक लगातार तीन वर्ष से चीन की जीडीपी नीचे गिर रही थी लेकिन महामारी आने के बाद उसकी जीडीपी तेजी से उछाल आया और अब तक उसमें 70% ग्रोथ हो चुका है जबकि पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था का बहुत बड़ा हिस्सा चीनी वायरस से लड़ने में खर्च हो रही है।
एक रिपोर्ट के अनुसार चीन में प्री पैंडेमिक वैक्सीन का रिसर्च चल रहा था, इसी क्रम में कुछ अनपेक्षित हुआ और वायरस बुहान(चीन) में ही फैल गया।इटली चीनी भाई भाई के चक्कर मे इटली बर्बाद हो गया।
दूसरी वेव के प्रति भारत कीअदूरदर्शिता की ही तरह अमेरिका ने पहली वेव में इसे हल्के में लिया और चीन की योजना बिना मेहनत सफल हो गयी।अमेरिका जैसा देश रुक गया और लाखों अपने नागरिकों की मौतों का गवाह बना।
तमाशा देखिए कि इसके फैलने के तुरंत बाद चीन का वैक्सीन बाजार में आ गया। दुनियाँ हैरान रह गयी कि अभी तो वायरस का विश्लेषण भी न शुरू हुआ था और वैज्ञानिक वैक्सीन पर रिसर्च ही कर रहे थे और चीन ने वैक्सीन बेचना भी शुरू कर दिया। चीनी वामपंथी दान पूण्य में विश्वास नहीं करते तो चीन ने भी कई ट्रिलियन डॉलर के वैक्सीन बेच डाले हैं।
चीन ने सबसे पहले वुहान में लॉकडाउन लगाया था तो यूएस हैरान था कि चीन को कैसे पता की लॉकडाउन लगाने से करोना खत्म हो सकता है। उसी लॉकडाउन में चीन ने सभी को टीका लगा डाले थे और कुछ ही महीने में पूरे चीन को टीका लग गया। चीन ने अपने लोगों में पहले ही टीका लगा बचाव भी कर लिया और माल भी बना लिया।
भारत ने भी पहले फेज में पूरा लॉकडाउन किया धीरे धीरे करोना खत्म होने लगा। फरवरी 2021 तक करोना लगभग समाप्त की ओर अग्रसर था। तब तक किसान आंदोलन के जरिये दिल्ली में ब्रिटेन कनाडा जैसे देशों से वायरस म्यूटेशन आ गए लेकिन यह घातक तब हुआ जब इन जगहों के वायरस के साथ भारत में मौजूद चाइनीस वायरस का मिलन हो गया।
आमजन को वैक्सीन न लगवाने के षणयंत्र सफल हो ही चुका था। कुछ उदासीनता की वजह से भारत में इसका विस्तार सुनामी की तरह हुआ। कोई भी सरकार इस तेजी के फैलाव के लिए तैयार नहीं थी और पस्त हो गयी।
चीन की एक ही कंपनी ब्राजील और तुर्की में वैक्सीन सप्लाई कर रही थी। तुर्की में इसकी एफिशियंसी 91.5% तो ब्राजील में सिर्फ 50%।
भारत में कहा गया कि करोना बंगाल चुनाव कुंभ के कारण फैला तो ब्राजील में यह क्यों उछाल मार रहा है??
चीन के साथ जिन देशों के रिश्ते अच्छे थे वहाँ पर उनकी वैक्सीन ज्यादा कारगर थी। चीन का 70% जीडीपी बढ़ चुका है और अब वह अर्थव्यवस्था में शीर्ष पर पहुँचने वाला है।
ड्रग माफिया फाइजर का भी पिछले तिमाही के फायदा देख लीजिए आँखे फट के जमीन पर गिर जाएंगी।खैर, खोजेंगे तो अमेरिकी ड्रग माफिया फाइजर का कनेक्शन बुहान से भी मिलेगा।
फिलहाल भारत को अपने लिए लड़ना है और मोदी के साथ कदम से कदम मिला कर लड़ना है क्योंकि लड़ भी वही रहे हैं और भारतीयों को बचाने की इच्छाशक्ति भी उन्ही के पास है। आज मोदी सबसे बड़े रक्षक सिद्ध हो न हो लेकिन भक्षक तो नहीं ही है।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयंसेवको की तरह काँग्रेज़ सेवा दल, समाजवादियों व कम्युनिष्टों के भी सेवार्थी सड़कों पर अपनी प्राण की परवाह किये बिना कहीं दिखाई देते तो हम भी मानते की देश का मोदी विरोधी विपक्ष जनता के लिए कोई सद्भावना रखता है और उनके जीवन रक्षा के लिए सिर्फ गाल न बजाता बल्कि धरातल पर भी कुछ करता है।